जेब में सांप

(Jeb Me Sanp)

प्रेषक : मोहित पवार

नमस्कार, मेरा नाम मोहित पवार है, मैं Chudaai.xyz का नियमित पाठक हूँ। मेरे मस्त लौड़े की तरफ से सभी की चूत को प्यार भरा नमस्कार !

मैं आपको एक अपनी एक सच्ची कहानी सुनाने जा रहा हूँ कि किस तरह मैंने अपने दोस्त की बहन की झमाझम चुदाई की।

मैं पहले अनीता के बारे में बता दूँ, उसकी उम्र 18 साल है। मैं उसको कई बार उसके स्कूल से घर लेकर आता था। मैंने कई बार उसके साथ मज़े लेने की कोशिश की लेकिन मैं डरता था कि कहीं वो अपने भाई को न कह दे।

एक दिन मैंने उसको पेशाब करते हुए देख लिया, मैंने उसकी चूत को देखा कि उस पर भूरे रंग के बाल थे। मैं यह देख कर खुश हो गया।

मैंने एक दिन अनीता को पाँच रुपए दिए और कहा- स्कूल में कुछ खा लेना।

उसी दिन मैंने उसे स्कूल से घर छोड़ने का सोच लिया। घर में हम दोनों अकेले थे और उसे देख कर मेरा लण्ड खड़ा हो था।

अनीता बोली- भैया, आपके जेब में क्या है?

मैंने कहा- कुछ नहीं है।

फिर उसने मेरी जेब में हाथ डाल दिया और उसी वक़्त अनीता ने मेरा लण्ड पकड़ लिया।

मैं हैरान रह गया, मैंने कहा- अनीता, यह क्या कर रही हो?

उसने और जोर से पकड़ लिया और कहा- भैया, यह क्या है?

मैंने कहा- अनीता, यह सांप है।

और साथ ही मैंने उसकी संतरे जैसी चूची को मसल दिया। अपनी अन्तर्वासना के वशीभूत मैंने उसके कपड़े उतारने शुरु कर दिए और उसकी पैंटी में हाथ डाल कर उसकी चूत को मसलने लगा।

उसने कहा- भैया, यह क्या कर रहे हो? मैं भैया से कह दूँगी।

मैंने उसको बताया- पागल, ऐसा करने से मजा आता है !

फिर उसने कहा- इसको जीभ से चाटो।

मैंने उसकी पैंटी भी उतार दी और अपनी एक उंगली उसकी चूत में डाल दी। वो तड़पने लगी, उसके मुँह से सिसकारी निकलने लगी।

मैंने उसके बाद उसकी चूत पर अपनी जीभ लगा दी और चूत को चाटने लगा। जैसे ही मैंने अपनी जीभ लगाई, वो जोर से चिल्लाई। वो तड़प गई थी।

मैं उसकी चूत को चाट रहा था कि इतने वो कहने लगी- भैया मैं तो गई !

मैंने पूछा- क्या हुआ?

इतने में मैंने देखा कि उसकी चूत में से पानी निकलने लगा था, मैंने अपना मुँह हटा लिया।

उसके बाद मैंने पूछा- मजा आया?

तो वो बोली- भैया, मैंने आज तक इतना मजा नहीं लिया जो आपने दिया है, दिल खुश हो गया।

फिर मैंने कहा- यह मजा मुझे नहीं देगी क्या?

वो बोली- मतलब?

मैंने उसे कहा- तुम मेरा सांप नहीं चूसोगी?

वो बोली- मुझे गन्दा लगता है।

मैंने बोला- एक बार चूस कर देख अनीता ! मजा आ जायेगा।

उसके बाद कई बार कहने के बाद वो बोली- एक बार चूसूँगी।

मैंने कहा- ठीक है !

फिर उसने मेरी पैंट उतारी और निकर में से मेरा लण्ड निकाल कर चूसने लगी।

मुझे भी मजा आने लगा, मैंने अपनी एक उंगली उसकी चूत में डाल दी। 69 की अवस्था में हम एक दूसरे को चूस रहे थे कि थोड़ी देर बाद वो बोली- भैया अब रहा नहीं जा रहा, आप अपना यह सांप मेरी चूत में डाल दो।

मुझे डर लग रहा था कि कोई आ जाये तो मेरी वाट लग जाएगी, मैंने कहा- जल्दी से पीछे घूम जा !

मैंने उसको घोड़ी बना दिया और जैसे ही मैंने अपना लण्ड उसकी चूत पर लगाया वो जोर चिल्लाई।

मैं डर गया।

वो बोली- भैया, दर्द हो रहा है।

मैंने फिर थोड़ा सा थूक अपने लण्ड पर और उसकी चूत पर लगा दिया और अपना आधा लण्ड उसकी चूत में डाल दिया।

वो रोने लगी। उसकी चूत में से खून निकल रहा था।

मैंने धक्के लगाने बंद कर दिए, मैं आराम से आगे-पीछे करने लगा। थोड़ी देर बाद अनीता बोली- भैया, जोर से करो ना !

मैं खुश हो गया, मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी और अब हम दोनों को मजा आ रहा था।

कुछ ही देर बाद वो बोली भैया- मैं झड़ने वाली हूँ !

मैंने अपनी स्पीड और बढ़ा दी, हम दोनों एक साथ झड़ गए। मैंने अपना सार माल उसके पेट पर निकाल दिया।

वो बोली- भैया, यह क्या कर दिया? मेरा पेट गन्दा कर दिया?

मैंने अपनी स्पीड और बढ़ा दी, हम दोनों एक साथ झड़ गए। मैंने अपना सार माल उसके पेट पर निकाल दिया।

वो बोली- भैया, यह क्या कर दिया? मेरा पेट गन्दा कर दिया?

मैंने कहा- पागल, अगर अन्दर निकालता तो तू मम्मी बन जाती।

उसने कहा- ठीक है।

हम दोनों एक दूसरे को चूमने लगे, मैं उसके होंटों का रस पी रहा था। हमें शाम हो गई थी मस्ती करते हुए !

हम दोनों ने कपड़े पहने, उससे चला नहीं जा रहा था। मैंने एक दर्द की गोली उसको खाने के लिए दी तो उसके मम्मी-पापा के आने से पहले वो ठीक हो गई।

जब तक उसका भाई नहीं आया, मैं उसको रोज स्कूल से लाता और उसी के घर पर रोज चोदता।

एक दिन उसकी एक सहेली भी उसके साथ स्कूल से घर तक आई।

अनीता ने बोला- आ जा घर में ! पानी पीकर चली जाना !

वो भी घर में आ गई।

अनीता मुझसे बोली- भैया, यह लड़की कैसी लगी?

मैंने कहा- ठीक है ! क्यों क्या हुआ?

मैंने उससे उसका नाम पूछा, उसने अपना नाम सरिता बताया।

मैंने कहा- अच्छा नाम है।

अनीता बोली- भैया, आज हम तीनों मिलकर रोज वाला खेल खेलें?

मैंने उससे कहा- अनीता, ऐसे सबको बताना ठीक नहीं है, अगर किसी को पता चलेगा तो गड़बड़ हो जायेगी।

फिर उसने कहा- भैया, यह मेरी पक्की सहेली है, यह किसी से नहीं कहेगी। इसका भी खेलने का दिल कर रहा है।

मैंने कहा- ठीक है ! चलो शुरू करते हैं।

मैंने सरिता से कहा- चलो, आज तुम से शुरू करते हैं।

मैंने सरिता को उसके कपड़े खुद उतारने को कहा।

वो बोली- मुझे शर्म आती है !

मैंने कहा- यहाँ आओ, मैं तुम्हारे कपड़े उतारता हूँ।

मैंने उसके धीरे धीरे सारे कपड़े उतार दिए। उसके चूचे तो अनीता से भी बड़े थे।

मैंने उससे कहा- क्या बात है? कहाँ से इतने बड़े करवा लिये !

वो शरमा गई और बोली- जब मैं नहाती हूँ तो इन दोनों को मसल कर नहाती हूँ।

मैंने उसकी चूची को पकड़ लिया और धीरे धीरे दबाने लगा। मैंने उसके चूचे भी चूसे। मैंने उसके पूरे जिस्म को चाटा।

उसके बाद अनीता ने भी अपने कपड़े उतार दिए और मेरी पैंट खोल कर मेरा लण्ड चूसने लगी।

सरिता ने कहा- यह क्या कर रही है? तुझको गन्दा नहीं लगता?

वो बोली- पागल ! पहले मैं भी यही बोली थी लेकिन चूसने के बाद मजा आता है। तू भी करके देख !

सरिता ने मेरा लण्ड पकड़ा और अपने मुंह में डाल लिया, मुझे मजा आने लगा। दोनों मेरा लण्ड बड़ी मस्ती से चूस रही थी, मुझे मजा आ रहा था। मैं झड़ने वाला था, मैंने कहा- अब दोनों हट जाओ, मैं झड़ने वाला हूँ।

सरिता ने कहा- वो सफ़ेद पानी निकलता है ना?

मैंने कहा- तुझे कैसे पता?

उसने बोला- मैंने एक फिल्म में देखा था, मैं उसको पियूँगी।

उसने चूसने की स्पीड बढ़ा दी। अनीता मेरे होंट चूस रही थी। एकदम से मेरा शरीर निढाल हो गया और सरिता सारा वीर्य पी गई और चाट कर सारा साफ़ कर दिया।

मेरा लण्ड अब आराम कर रहा था। थोड़ी देर बाद अनीता मेरे लण्ड को चूसने लगी और सरिता मुझे पूरा नंगा करके मेरे सारे शरीर को चूसने लगी।

मेरा लण्ड फिर खड़ा होने लगा, इस बार लण्ड में कुछ ज्यादा ही पॉवर आ गई थी। सरिता ने जैसे ही देखा कि लण्ड खड़ा हो गया है तो उसने अपनी पैंटी उतारी और मेरे मुँह पर अपनी चूत रख दी।

मैं उसकी चूत चाटने लगा। कुछ समय बाद वो खड़ी हुई और मेरे लण्ड पर बैठ गई। एक बार तो वो थोड़ा सा चिल्लाई, फिर वो आराम से बैठ गई और खुद ही ऊपर नीचे होने लगी। अनीता अब सरिता के चूचे चाट रही थी, अनिता कभी मेरे होंठों पर चूमती, कभी सरिता के !

मुझे चूत-चुदाई का पूरा मजा मिल रहा था, मेरा दिल बहुत खुश था। मैं आराम से सरिता की चूत चोद रहा था।

इतने में अनीता अपनी चूत मेरे मुँह के सामने ले कर आ गई और बोली- भैया इसको चाटो ना !

मैंने उसकी चूत को चाटना शुरू कर दिया।

सरिता जोर से ऊपर-नीचे होने लगी। थोड़ी देर में वो झड़ गई लेकिन मैं अभी वहीं का वहीं था।

मैंने अनीता को कहा- अनीता अब तुम यहाँ बैठ जाओ।

अनीता बोली- भैया, किसी दूसरे तरीके से करते हैं।

मैंने उसकी टाँगें फैला दी और उसकी चूत में अपना लण्ड डाल दिया।

15 मिनट की चुदाई के बाद वो और मैं एक साथ झड़ गए।

अनीता बोली- भैया, इस बार आपका माल मैं पियूँगी।

मैंने अनीता के मुँह में सारा पानी डाल दिया, इसके बाद वो सारा माल पी गई और चाट कर सारा साफ़ कर दिया।

इसी तरह हर बार जब भी मौका मिलता, अनीता किसी ना किसी को लेकर आती किसी के भी घर में कोई नहीं होता था तो पढ़ने के बहाने से सारे वही आ जाते थे। मैंने सरिता की मम्मी से उसको पढ़ने की बात की थी, जब अभी मैं उसको पढ़ने के लिए जाता उसको चोद कर आता था।

मेरी जिन्दगी अभी भी ऐसे ही चल रही है, अभी हमारे ग्रुप में अनीता के स्कूल की 16 लड़कियाँ है। मुझे रोज किसी ना किसी लड़की की चूत मिल ही जाती है।

आगे की कहानी बाद में !

मेरी कहानी कैसी लगी, मुझे मेल करना मत भूलियेगा।