(Ladki Se Aurat Bani- Part 2)
मेरे प्रिय दोस्तो, जैसा कि मैंने अपनी पहली चुदाई
में बताई थी ! गुरु जी की असीम कृपा से यह कहानी प्रकाशित हुई और आप सबके ढेरो संदेश-इमेल मुझे मिले। आप लोगों ने मुझे एक दिन में करीब छः सौ मेल किये मैं इतनी आप सबकी चहेती बन गई कि क्या कहूँ !
लेकिन मुझे माफ़ करना मेरे मजनुओं ! मैं सबको व्यक्तिगत उत्तर नहीं दे सकती। आपने वो मशहूर गाना तो सुना होगा कि “केकर केकर मन रखीं अकेले जियरा !” आप सबको मेरा चुम्बन !
अब मैं अपनी अगली चुदाई के बारे में बता रही हूँ।
मुझे औरत बनाने के बाद रमेश ने बाथरूम में अपना लण्ड और मेरी चूत साफ की फिर तेल गर्म करके मेरी चूत की मालिश की और रात में आने को कह कर चला गया !
मैं आनंद की अनुभूति पा कर सो गई।
रात करीब 8 बजे रमेश आया तो आधा बोतल व्हिस्की, एक बोतल बियर और एक चिकन साथ में लाया था !
पहले तो हमने चिकन और बियर का मज़ा लिया एक गिलास बियर पीते ह़ी मुझे नशा होने लगा लेकिन रमेश ने मुझे दूसरा गिलास भी पिला दिया और मैं पूरी मस्त हो गई।
और वो मेरी चूचियों और चूत से खेलने लगा।
मैंने भी उसका लिंग पकड़ लिया, उससे खेलने लगी।
दस मिनट में ही फिर से हम मर्द औरत वाला खेल खेलने लगे। जब वो जोरदार झटका मारता तो मैं आह आह ! कर देती।
लेकिन थोड़ी देर बाद मज़ा ले ले कर चुदवाने लगी।
वो चोदते-चोदते अपने एक दोस्त के लण्ड की तारीफ भी करता रहा कि उसका लण्ड बहुत बड़ा है, कभी तुम भी ले कर देख लेना !
मैं नशे में तो थी ही, मैंने हाँ कर दी।
पता नहीं कब तक हम कुश्ती का खेल करते रहे और कब दोनों आउट होकर सो गए।
रात में मुझे लगा कि रमेश फिर से मुझे मसलने लगा है। मैं बहुत नशे में थी और चुदवाने का मूड था ही तो मैं भी साथ देने लगी।
फिर कुछ देर बाद मुझे लगा कि शायद यह रमेश नहीं है जो मुझे रगड़ रहा है, यह कोई और है क्योंकि इसका लण्ड रमेश के लण्ड से मोटा है।
लेकिन बीयर का तेज़ नशा था, मैंने उसे अपना ख्याल समझी और वो मुझे मसलता रहा, मेरी चूचियों को चूस-चूस कर लग रहा था कि सारा दूध निकाल कर पी जाएगा।
मज़ा तो मुझे बहुत आ रहा था लेकिन कई बार दर्द भी हो जाता तो कराह देती। वो मेरे होंठ लोलीपोप की तरह चूस रहा था, लग रहा था कि मुझे खा जाना चाहता हो।
मेरी चूत गीली हो चुकी थी, मैं उसका लण्ड पकड़ कर खींचने लगी। फिर वो मेरी जांघें फैला कर बीच में आ गया और चूत पर लण्ड लगा कर वजन डाला तो चूत पहले ही झटके में आधा लण्ड निगल गई। मैं आह-आह करने लगी क्योंकि मेरी चूत संभाल नहीं पा रही थी उसका लण्ड।
लेकिन वो लगातार मेरे होंठ चूस रहा था और मैं कराह रही थी। लेकिन आनन्द भी आ रहा था।
थोड़ा और जोर मारा उसने तो चूत में पूरा लण्ड घुस गया, लग रहा था जैसे मेरी चूत फट जाएगी। मैं अपनी जांघें फैला कर लंड के लिए जगह बनाने की कोशिश करने लगी लेकिन लण्ड की मोटाई के कारण चूत के होंठ लगता था कि अलग अलग हो जायेंगे, लण्ड को सँभालने की कोशिश में कई बार गाण्ड से पाद निकल जाती थी।
जब चूत थोड़ी सामान्य हुई तो वो दनादन चोदने लगा। तब तक मैं समझ चुकी थी कि यह रमेश नहीं बल्कि उसका वो दोस्त चोद रहा है जिसकी तारीफ वो कर रहा था।
मुझे अजीब तो लगा लेकिन मज़ा बहुत आ रहा था इसलिए चुदवाती रही, चुदवाती रही।
आगे क्या हुआ?
आप लोगों के जबाब मिलने के बाद लिखूंगी।
आप सबकी दोस्त
पूनम