मामी के साथ बस का मस्ती भरा सफर-3

Bhabhi ki chudai

(Mami Ke Sath Masti Bhara Safar-3)

मामी के साथ मस्ती भरे सफर में मैंने उनकी की चूत चोद दी थी. फिर होटल में मामी को तौलिये में देख मैं उनकी की चूत चोदना चाह रहा था पर मामी ने कुछ और किया. क्या किया?

मेरी मामी की चुदाई की कहानी के पहले भाग
मामी के साथ बस का मस्ती भरा सफर-1

में आपने पढ़ा कि मुझे अपनी मामी के साथ मजबूरी में इंदौर जाना पड़ रहा था. इससे पहले मैंने मामी की ओर ध्यान नहीं दिया था.

अब आगे……

रात को बस में मामी के साथ ट्रेवल करते हुए मेरा ध्यान उनके जिस्म पर गया. मैंने मामी की चूचियों को नंगी कर दिया. उनकी चूची पीने लगा और मामी भी उत्तेजित हो गयी.

मामी ने मुझे नंगा कर दिया और खुद भी नंगी हो गयी. वो मेरे लंड पर चूत को रख कर आगे पीछे होने लगी. मैंने मामी की चूत में ही माल छोड़ दिया. रात भर मामी के साथ चुदाई चली और सुबह तक हम इंदौर पहुंचने वाले हो गये.

वहां पहुंचने से पहले ही हमने अपने कपड़े वगैरह ठीक कर लिये थे. मामी अब मुझसे बहुत ज्यादा घुल मिल गयी थी. उसने अपनी साड़ी और ब्लाउज तो ठीक कर लिया था लेकिन उसकी पैंटी कहीं गुम हो गयी थी. मामी अपनी पैंटी कहीं ढूंढ रही थी. शायद मामी की पैंटी सीट के नीचे कहीं घुस गयी थी.

मैं भी उनकी मदद करने लगा. मुझे बहुत शर्म आ रही थी कि मैं उनकी पैंटी ढूंढने में उनकी मदद कर रहा था. वैसे मुझे तो अभी भी यकीन नहीं हो रहा था कि बीती रात में हमारे बीच में इतना कुछ हो गया है.

वो तो जैसे बिल्कुल ही नॉर्मल थी. वह ऐसे व्यव्हार कर रही थी जैसे हम दोनों के बीच में कुछ हुआ ही नहीं था. उसके चेहरे पर मैं एक अलग ही खुशी देख रहा था.

काफी देर तक ढूंढने के बाद मामी की पैंटी मिल गयी. वह मेरे सिर के पास ही कहीं दब गयी थी.
पैंटी मामी को देते हुए मैंने चुपके से कहा- यह लो आपकी अमानत.
वो बोली- उफ्फ मैं तो परेशान ही हो गयी थी. पता नहीं कहां घुस गयी थी.

फिर मुझे भी ध्यान आया कि रात में मामी ने अपनी पैंटी से मेरा लंड पोंछा था. जब उनको ये बात ध्यान आई तो वो भी अपने माथे पर हाथ मारकर हंसने लगी.

6 बजे के करीब हम लोग इंदौर में उतर गये. मामाजी ने हमें लेने के लिए गाड़ी भेजी थी. चूंकि हम दोनों रात भर सो नहीं पाये थे इसलिए काफी थके हुए लग रहे थे. दोनों का ही बदन जैसे टूट रहा था.

फिर थोड़ी देर में गाड़ी भी हमें लेने के लिए आ पहुंची. हम गाड़ी में बैठ कर होटल में चले गये. मामाजी ने हमारे लिये एक कमरा पहले से ही बुक करवा रखा था.

मेरा तो बदन टूट रहा था और सोने का मन कर रहा था. मन कर रहा था कि मैं बेड पर गिर जाऊं. बहुत नींद आ रही थी. फिर मैंने सोचा कि पहले नहा लिया जाये.

मामी के मन में भी कुछ ऐसे ही विचार थे. मैंने मामी से पूछा कि पहले उनको नहाना है या मैं नहाने के लिए चला जाऊं?
मामी बोली- पहले मैं नहा लेती हूं. तुम बाद में नहा लेना.

मैंने हां कर दी और मामी अपना सामान खोलने लगी. धीरे धीरे वो अपने बैग में से अपने कपड़े निकाल कर देख रही थी. उनको नहाने के बाद पहनने के लिए कपड़े चाहिए थे.

पहले उसने एक सलवार और कमीज निकाली. वो काफी बड़ी सी लग रही थी. उसके बाद उन्होंने तौलिया निकाला. फिर एक लाल कलर की पैंटी और काले रंग की ब्रा भी निकाल कर मेरे सामने ही रख दी.

उन्होंने वो कपड़े मेरे सामने ही खोल कर रख दिये थे. मैं तो हैरानी से मामी की हरकतें देख रहा था. उनकी ब्रा और पैंटी को घूर रहा था. इससे पहले उन्होंने ने मेरे सामने कभी अपने कपड़े इस तरह से फैला कर नहीं रखे थे.

उनकी काली ब्रा बहुत ही मस्त लग रही थी. उस पर जालीदार नक्शे का काम किया गया था. पैंटी भी कुछ ऐसी ही थी.
फिर उन्होंने केवल तौलिया उठाया और नहाने के लिए बाथरूम में घुस गयी.

मैं वहीं बेड पर लेट गया. मेरी आंखें भारी हो रही थीं. रात भर जागने के कारण काफी थकान हो गयी थी. दस-पंद्रह मिनट के बाद मामी ने मुझे बाथरूम के अंदर से ही आवाज दी. मैंने आलस में आंखें खोलीं. मुझे नींद लग रही थी

कहानी आगे जारी रहेगी